Sunday 10 July 2016

"Bas isliye Dr. Zakir Naik inhe Aatanki nazar aarahe hai"


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Dr. Zakir Naik ke Islam dharm prachar ka saar hai 
Sanatan aur Islam me samaanta..

Aur ve aksar public ko bataate rehte hai ke Quran and Ved-puran me kya kya samaantaye hai 

Jisse public ke dil me ye bhaav paida hota hai ki "ham sab ka RAB ek hi hai, ham sab insaano ko us ne hi banaaya hai, aur Sadiyon se na jaane kitne muft-khor pande mulle paadri aur baabbe hame in jhoote aur manghadant bhagwaano, devtao aur peer faqeero me fansaa kar muft ki roti khaa rahe hai"

Kyoki 
hamaara RAB ek
Aakhri paigamber(avtaar) ek
Isliye ham sabka deen (dharm) ek

Yaani Aman Yaani Shaanti 

Yaani Islam

Isliye hame aapas ladna nahi chaahiye balki pyaar mohabbat aur bhai chaare se rehna chahiye,

Lekin Public ke dil me ekta aur mohabbat ki ye bhaavna paida hone se Muft-khoroN aur desh BhaktoN ki bhaavnaye aahat ho rahi hai,

Kyoki desh bhakt aajtak logoN ko lada kar, Begunaahon ka khoon baha kar do dharm ke logoN me dango ki aag laga kar apni raajnaitik rotiya sekte rahe hai

Aur muft khor manghadant banaawti aur jhoote bhagwaano, devtao aur peer faqeero me Uljha kar muft ki khaate rahe hai,

Lekin Dr. Zakir Naik ne in desh BhaktoN aur muft khoroN ki masti bhari zindagi me Sach ki Bandook chalaakar aatank sa macha diya hai,

In desh BhaktoN aur muft khoroN ko apne mansooboN mitti me milte nazar aarahe hai,

Bas isliye Dr. Zakir Naik inhe Aatanki nazar aarahe hai,
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Sunday 14 July 2013

WHO IS HINDU


जब हिन्दू लफ्ज़ की चर्चा होती है तो सदा ही मिसाल सिन्धु नदी की दी जाती है लेकिन किया आप जानते है?? 
              कि, 
                   सिन्धु  नदी  हमेशा  से  सिन्धु  नदी  कही  जाती  है , सभ्यताओ  के  समस्त  परिवर्तन  और  भाषाओं  के  तमाम  उलटफेर  के  बावजूद  सिन्धु  नदी  का  नाम  आज  भी  सिन्धु  नदी  ही  है  , सिन्धु  नदी  को  हिन्दू  नदी  नहीं  कहा  जाता , तो   सनातन -आर्यों को हिन्दू  और  सनातन -आर्य   सभ्यता  को हिन्दू सभ्यता  कैसे  कहा  जाने  लगा


हद तो ये है कि  इस  वतन  का  नाम  हिदुस्तान  मुसलमानों  दुवारा रखा  गया  तो  हिन्दू  सनातन -आर्य  कैसे  कहला  सकते  है??????????????

याद  करो  मुगलों  के  वे  अल्फाज़  जब  वे  अपने  भाइयो  को  खबर  देने  को  कहते  तो  बोलते     """"बिरादर -ऐ-हिंद  को  खबर  दो""""  तब  वे  "बिरादर -ऐ -हिंद " या  हिन्दू  किसी  सनातन -आर्य  को  नहीं  बल्कि  खुदको  कहते  थे,,,,,,,,,

ये  बात  हकीकत  है  की  स्वार्थी  भगवा  राजनितिज्ञो  दुवारा  मुग़ल  काल  या  उसके  बाद  सनातन -आर्य   धर्मियों  को  हिन्दू  की  संज्ञा  दी  जाने  लगी , और  फिर  सब  नासमझ  लोग  सनातन -अर्यो  को  हिन्दू  कहने  लगे...   इस  चाल  में  इन लोगो  का  बहुत  बड़ा  स्वार्थ  छुपा  था  और  इस  स्वार्थ  को  कुछ  इस  तरह  समझा  जा  सकता  है....
ये  चाल  इन्होने  इसलिए चली.....

जिससे ये  लोग  खुलकर इस  वतन   पर  अपना और  सिर्फ  अपना  हक  जता  सके ,
जिससे  ये  लोग   इस  वतन  को  अपनी  और  सिर्फ  अपनी  जागीर  बता  सके ,
जिससे  ये  इस  वतन  को  अपना  और  सिर्फ  अपना  कह  सके ,
जिससे  ये  मुसलमानों  और  बाकी  जातियों  का  हक  छीन  सके........

और  इस  वतन  को  अपनी  विदेशी  सभ्यता  और  संस्कृति में  ढाल  सके  और  ये  सब  इस  नाम  परिवर्तन  किये  बिना  मुमकिन  नहीं  था,,,,,

मै अपनी  इस  बात  को  एक  ताज़ा  मिसाल  से  साबित  भी  कर  सकता  हु , सभी  जानते  है  की  इंदिरा  गाँधी  की  शादी  एक  मुसलमान  से  हुई  जिसका  नाम  था  फ़िरोज़  खान  लेकिन  ठीक  उसी  निति  के  तहत  फिरोज  खान  का  नाम  बदल  कर  फिरोज  गाँधी कर  दिया  गया , ये  नाम  परिवर्तन  भी  इसी  लिए  किया  गया  जिससे  ये  फिरोज  खान  को  अपनी  सभ्यता  अपनी  संस्कृति  और  अपनी  विचार -धारा   का  बना  सके  या  दिखा  सके , ये  फिरोज  खान  को  अपनी  सभ्यता  अपनी  संस्कृति और  अपनी  विचार -धारा  का  बना   तो  नहीं  सके  लेकिन  दिखाने  में  कामयाब  हो  गये , हलाकि  फिरोज  खान  मरते  दम  तक  मुसलमान  रहे  लेकिन  इनका  मकसद  सिर्फ  सच्चाई  को  छुपाये  रखना  है , लेकिन  कबतक  छुपायेगे  रात  चाहे  कितनी  भी  लम्बी  हो  हर  रात  की  सुबह  मुक़र्रर  है.........
बस  इतनी  सी  दास्ताँ  है  इनकी

ये  हिन्दू  नाम  का  छाता  जो  हम  मुसलमानों  की  तामीर  है , इससे  ये  लोग  कब  तक  अपने  आप  को  छुपायेगे , एक  न  एक  दिन  ये  छाता सर  से  उतरेगा  फिर  देखना  हकीकत  का  सूरज  सरपर  होगा  और  ये  लोग  उस  वक़्त  पसीना -पसीना  होगे........

नसीम निगार हिंद